अगृही अपूर्ण गुरूवर श्री कन्हैया जी महाराज श्री सिद्ध वर्ल्ड ट्रस्ट के संस्थापक है, गुरूवर श्री सामान्य होते हुऐ भी अपने आन्तरिक व आलौकिक अनुभूतियों से अलग जाने जाते है, बाल अवस्था में ही उन्होनें अध्यात्म का अनुभव प्राप्त कर लिया था, गुरूवर श्री ने अपने जीवन का अधिंकाश समय हिमालय व पर्वतों पर बिताया। अध्यात्म के प्रति गुरूवर श्री का दृष्टिकोण अति सुगम व सरल है। उन्होने कभी किसी धर्म,सम्प्रदाय,पंथ या किसी व्यक्ति विशेष से कोई भी आध्यात्मिक दीक्षा नहीं ली।
गुरूवर श्री किसी जाति,धर्म को बढ़ावा न देकर प्रत्येक मनुष्य को एक समान मानते है। उनका कहना है,की परमात्मा की बनाई हुई मनुष्य रचना सबसे अमूल्य व महत्वपूर्ण है। अर्थात=मनुष्य ही ईश्वर का प्रथम दूत (स्वरूप) है। ऐसा गुरूवर श्री का मानना है। सम्पूर्ण अध्यात्म से लेकर मनुष्य जीवन के तमाम जटिल पहलुओेे को गुरूवर श्री ने एक अत्यंत सरल ढ़ंग से उसका व्यखान किया है।
गुरूवर श्री एक सरलतम किन्तु परमाणिकता के साथ मनुष्य को संसारिक धार्मिक व अध्यात्मिक पद्धतियों से जोडकर एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पूरातन काल से लेकर आज के आधुनिक युग का ऐसा शाश्वत् ज्ञान प्रस्तुत करते है, जो सरलता से मनुष्य को अध्यात्मिक, सांसारिक ,व धार्मिक क्रियाओं का चयन करने में उन्हें हितकारी सिद्ध होता है। गुरूवर श्री का जीवन शुरू से ही मनुष्य के आन्तरिक उत्थान में समर्पित रहा है। तथा समाज कल्याण जैसे कार्य भी वे निरतंर करते आ रहे है। गुरूवर श्री ने अध्यात्मिक साधनाओं के कई गूढ़ रहस्यो को प्रत्येक मानव के सामने उदाहरण सहित प्रस्तुत किया, तथा यह भी बताया की किस परिस्थिति में मनुष्य किस कदम को उठाकर अपने अध्यात्मिक व संसारिक मार्ग पर चलने में सामर्थयता हासिल कर सकता है। जीवन के हर छोटे से छोटे पहलू पर गुरूवरश्री ने प्रकाश डाला है। वो चाहे रोजमर्रा की जिंदगी में संघर्ष करता कोई आम मनुष्य हो, या फिर कोई योगी या साधक के बारे मे क्यो न हो, हर एक के प्रति गुरूवरश्री का अपना एक अलग वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। जिससे वे साधक या जिज्ञाशुओं की जिज्ञाशा को तृप्त कर उन्हें एक नई प्यास यानि समाधि की और जोड़ते है।